बचपन में हंसी थी
बरसती खुशी थी
हर तरफ़ था बस प्यार ही प्यार
कुछ समझ नहीं थी
वो दुनिया अलग थी
फ़िर नन्हें कदम चले विद्यालय की ओर
पढ़ना-लिखना,खेलना और शोर ही शोर
कुछ बड़े हुये तो रिश्तों को पहचाना
मां-बाप,चाचा,मामा और नाना
समाज और परिवेश से सीखा अपार
अब ये भ्रम था , हम हैं समझदार
अब जबकि मैं बड़ा हो गया हूं
लगता है सबसे अलग हो गया हूं
खुशी खो गयी है,न जाने अब कैसे
जीवन-संघर्ष की शुरुआत हो जैसे
चुनौतियां हर क्षण अब देती हैं दस्तक
बस यही है मेरा सफ़र अब तक ।
बरसती खुशी थी
हर तरफ़ था बस प्यार ही प्यार
कुछ समझ नहीं थी
वो दुनिया अलग थी
फ़िर नन्हें कदम चले विद्यालय की ओर
पढ़ना-लिखना,खेलना और शोर ही शोर
कुछ बड़े हुये तो रिश्तों को पहचाना
मां-बाप,चाचा,मामा और नाना
समाज और परिवेश से सीखा अपार
अब ये भ्रम था , हम हैं समझदार
अब जबकि मैं बड़ा हो गया हूं
लगता है सबसे अलग हो गया हूं
खुशी खो गयी है,न जाने अब कैसे
जीवन-संघर्ष की शुरुआत हो जैसे
चुनौतियां हर क्षण अब देती हैं दस्तक
बस यही है मेरा सफ़र अब तक ।
1 comments:
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