Sunday, August 22, 2010

अदना सा ठिकाना.....!

कभी हम भी दीवाने थे......
कभी मौसम सुहाना था.....  
वो सपनों में खूबसूरत.......
कभी एक आशियाना था.....

मेरे ख्वाबों में बसती तुम......
वो भी क्या खूब जमाना था.......!


 


तरन्नुम की लहर का मैं भी.......
एक अदना सा ठिकाना था.......
पर सुरूर-ए-इश्क में मश्गूल......
हम ये जान न पाये........
तू शम्मा थी परवाने की.....
झूठा हर एक फ़साना था......!!