Tuesday, January 25, 2011

महक अभी बाकी है...!



कितना वक्त गुजर चुका है,लेकिन
संदल सी महक अभी बाकी है
मेरे अंतस के हर एक कोने में
तेरी एक मधुर झलक बाकी है ।

काजली कलंक थोपे अंजुमन ने,फ़िर भी
पुनर्मिलन की उर-आस अभी बाकी है
दर्पण में एक खुशी जो देखी थी कभी
इस खुशी को रिवाज करना बाकी है ।

इतर-रूप भरी इस दुनिया में
कहीं कुछ तो असलियत बाकी है
मन-मयूर का स्वच्छंद नर्तन,पर
परिवेश की तलाश अभी बाकी है ।

Monday, January 10, 2011

उदास मन...!


आज फ़िर मन उदास है मेरा

बिखरा पड़ा है फ़िर से सवेरा


कहीं कुछ खो गया है जीवन से


यूं ही गुमनाम जैसे हो बसेरा |

  
वक्त की कमी नहीं आज मुझे

फ़िर भी बे-वक्त आया है अंधेरा


तमाम उम्र अभी बाकी है


कोई फ़िर भर दे उपवन मेरा |