Monday, January 10, 2011

उदास मन...!


आज फ़िर मन उदास है मेरा

बिखरा पड़ा है फ़िर से सवेरा


कहीं कुछ खो गया है जीवन से


यूं ही गुमनाम जैसे हो बसेरा |

  
वक्त की कमी नहीं आज मुझे

फ़िर भी बे-वक्त आया है अंधेरा


तमाम उम्र अभी बाकी है


कोई फ़िर भर दे उपवन मेरा |

6 comments:

meemaansha said...

nice dear! keep on....

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रिय दुर्गेश

बहुत अच्छा प्रयास किया है … बधाई !

तमाम उम्र अभी बाकी है
कोई फ़िर भर दे उपवन मेरा


उपवन भर ही जाएगा , चिंता मत करो … :)
सकारात्मक लिखने के यत्न जारी रहे …
शुभकामनाएं !

~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

shivendra said...

excellent yaar,itni feelings aati kaha se hai?mujhe bhi kuchh sikha do.

Creative Manch said...

कहीं कुछ खो गया है जीवन से
यूं ही गुमनाम जैसे हो बसेरा |

बहुत सुन्दर रचना
अच्छा लगा पढ़कर
बधाई

आभार व शुभ कामनाएं

DURGESH KUMAR said...

आप सभी को कोटिशः धन्यवाद...बस इसी तरह मार्गदर्शन करते रहियेगा....!!!

App Development Bangalore said...

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