"हम करते रहे तमाम कोशिशें,,,,
काश कि अपनी भी एक पहचान होती....!
कोई हमारे लिये भी जरा सा सोंचे,,,,
मिले हमें बेपनाह मोहब्बत,,,,
हमारे लिये भी ये सौगात होती....!
डूबे ये दुनिया हमारे खयालों में,,,,
अपने लिये भी कुछ बड़ी बात होती....!
सपनों के परिवेश में खोते हुये फ़िर,,,,
ऐसे मौसम में फ़िर बरसात होती....!
उल्लास के पलों में सिमटे ये जीवन,,,,
और सारी कायनात मेरे साथ होती.....!"
1 comments:
Hey Durgesh,Very nice poem by U,I heartly like this,I hope some great poem by U in future also,Best Of Luck.
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