कभी हम भी दीवाने थे......
कभी मौसम सुहाना था.....
वो सपनों में खूबसूरत.......
कभी एक आशियाना था.....
मेरे ख्वाबों में बसती तुम......
वो भी क्या खूब जमाना था.......!
तरन्नुम की लहर का मैं भी.......
एक अदना सा ठिकाना था.......
पर सुरूर-ए-इश्क में मश्गूल......
हम ये जान न पाये........
तू शम्मा थी परवाने की.....
झूठा हर एक फ़साना था......!!
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...मन की नजर से दुनिया का सफ़र
Sunday, August 22, 2010
भारत में अपनी औकात...
idharudharki1bat.blogspot.c.. |
25/100 |
परिचय
आपकी त्वरित प्रतिक्रिया
ब्लॉग-खजाना
अनुसरणकर्ता
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2 comments:
dear!!!!!u hav a deep sense to put forward the things......gud.effort..
keep it up...
all the best..
बहुत सुंदर रचना ....
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