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आज फ़िर मन उदास है मेरा
बिखरा पड़ा है फ़िर से सवेरा
कहीं कुछ खो गया है जीवन से
यूं ही गुमनाम जैसे हो बसेरा |
वक्त की कमी नहीं आज मुझे
फ़िर भी बे-वक्त आया है अंधेरा
तमाम उम्र अभी बाकी है
कोई फ़िर भर दे उपवन मेरा |
...मन की नजर से दुनिया का सफ़र
Monday, January 10, 2011
उदास मन...!
आज फ़िर मन उदास है मेरा
बिखरा पड़ा है फ़िर से सवेरा
कहीं कुछ खो गया है जीवन से
यूं ही गुमनाम जैसे हो बसेरा |
वक्त की कमी नहीं आज मुझे
फ़िर भी बे-वक्त आया है अंधेरा
तमाम उम्र अभी बाकी है
कोई फ़िर भर दे उपवन मेरा |
भारत में अपनी औकात...
idharudharki1bat.blogspot.c.. |
25/100 |
परिचय
आपकी त्वरित प्रतिक्रिया
ब्लॉग-खजाना
अनुसरणकर्ता
.............
6 comments:
nice dear! keep on....
प्रिय दुर्गेश
बहुत अच्छा प्रयास किया है … बधाई !
तमाम उम्र अभी बाकी है
कोई फ़िर भर दे उपवन मेरा
उपवन भर ही जाएगा , चिंता मत करो … :)
सकारात्मक लिखने के यत्न जारी रहे …
शुभकामनाएं !
~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
excellent yaar,itni feelings aati kaha se hai?mujhe bhi kuchh sikha do.
कहीं कुछ खो गया है जीवन से
यूं ही गुमनाम जैसे हो बसेरा |
बहुत सुन्दर रचना
अच्छा लगा पढ़कर
बधाई
आभार व शुभ कामनाएं
आप सभी को कोटिशः धन्यवाद...बस इसी तरह मार्गदर्शन करते रहियेगा....!!!
Very great post. I simply stumbled upon your blog and wanted to say that I have really enjoyed browsing your weblog posts. After all I’ll be subscribing on your feed and I am hoping you write again very soon!
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