किसी भी कार्य को पूरा करने के लिये हमें कुछ न कुछ प्रयास तो करने ही पडते हैं......चाहे सही हो या गलत.....! पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिये हिंसात्मक रवैया अपनाना शायद ठीक नहीं है.....पहले हमें बिना हिंसा के एक बार प्रयास तो कर लेना चाहिये....मैं ये नहीं कहता कि एक प्रयास के बाद आप हिंसा पर उतारू हो जायें.......जहां तक हो सके हमें मार-पीट,खून-खराबा आदि से बचना चाहिये......!!! जरा सोचिये.......अगर किसी समस्या का समाधान यदि आसानी से हो जाये तो कितना अच्छा हो बनिस्बत हिंसा के......!!!!
अब यहां पर एक और विचारणीय प्रश्न उठता है कि..........अगर तमाम कोशिशों के बावजूद भी ,सामने वाला आपकी बात मानने को तैयार नहीं है तो........?????????? तब आप वही कीजिये जो आपको उचित लगे.......आप और कर भी क्या कर सकते हैं.......!!!! जब लोग आपकी विनम्रता और मजबूरी को आपकी कायरता समझने लगे तो उन्हें ये बताना जरूरी हो जाता है कि......आप क्या हैं और एक हद तक ही सहनशील हैं.......पर यहां पर भी ये ध्यान रहे कि जहां तक हो सके हिंसा से काम न लिया जाये.......!!!
सहनशीलता की भी एक सीमा होती है........इंसान मजबूर हो जाता है.........इसमें उसे दोष देना शायद नाइंसाफ़ी होगी.......!!! ये तो सामने वाले व्यक्ति को समझना चाहिये कि मजबूरी,क्रोध और लालसा में इंसान कुछ भी करने को तत्पर रहता है.......!!! और एक बार जब इंसान अपना आपा खो देता है तो........हिंसा स्वाभाविक है......!!!!!
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...मन की नजर से दुनिया का सफ़र
Saturday, June 26, 2010
भारत में अपनी औकात...
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25/100 |
परिचय
आपकी त्वरित प्रतिक्रिया
ब्लॉग-खजाना
अनुसरणकर्ता
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4 comments:
बिल्कुल सही कहा आपने..............
उत्तम प्रयास,ब्लाग की सफ़लता के लिये शुभकामनायें ।
आप के विचारो मे नयापन है !हिन्सा के बारे मे आपका लेख प्रशन्सनीय है
It was very useful for me. Keep sharing such ideas in the future as well. This was actually what I was looking for, and I am glad to came here! Thanks for sharing the such information with us.
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