Sunday, April 25, 2010

सफ़लता....एक नये परिवेश में.....!

तेज रफ़्तार से बदलती हुयी आज की इस नवीन दुनिया में सफ़लता की सारी परिभाषा बदल सी गयी है.......!
आज हर इंसान को केवल सफ़लता चाहिये.....कैसे भी हो.....सफ़ल तो होना ही है.......कुछ भी करना पड़े.....! पर क्यों.....???? हम कुछ पाने की कोशिश में हर संभव प्रयास करते हैं.....फ़िर चाहे वह गलत ही क्यों न हो.....! और कभी-कभी तो नौबत कुछ ऐसी हरकत करने तक आ जाती है......जिसके बारे में यदि सही तरीके से सोंचा जाये तो बहुत कुछ हो सकता है......!आखिर हमें इतनी जल्दी क्या है.....????? अगर किसी काम को उचित रीति से किया जाये तो परिणाम निःसंदेह अच्छा होगा.......!
 

असफ़ल होने का ये मतलब तो नहीं कि हम सबसे कमजोर हैं......या हमारे पास संसाधनों की कोई कमी है .......! अंतर सिर्फ़ इतना है कि कहीं-न-कहीं कुछ कमी जरुर रह गयी होगी हमारे प्रयासों में.......! तो क्यों न इन कमियों को आत्ममंथन द्वारा सुधारने का प्रयास किया जाये.........! हो सकता है कि इस बार कुछ और अच्छा हो जाये.....! पर सबसे बड़ी बात तो ये है कि.....कौन पड़े इस लफ़ड़े में.....इस समय तो बस रात को सपना देखा और सुबह उठते ही लग गये जुगाड़ में.......किसी भी तरह ये होना चाहिये......! सोंचना तो है ही नहीं....... और इतना समय ही किसके पास है.......! समझ में  तो तब आता है जब समस्या सामने आती है......! फ़िर इस समस्या के समाधान के लिये एक और गलत तरीका खोजना सबसे बड़ी भूल होती है......!
आज सफ़ल होने के लिये सबसे जरुरी है.......संयम,साहस,आत्मविश्वास और मेहनत.........! सफ़लता के लिये कोई भी ऐसा लघु मार्ग नहीं है.....जिस पर चल कर हम कामयाबी हासिल कर लें........ये अलग बात है कि कभी-कभी हमें क्षणिक सफ़लता भले ही मिल जाये..........! पर कुछ पलों की खुशियों  के लिये अपने आदर्शों को भूल जाना कहां कि बुद्धिमानी है.......!
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4 comments:

दिलीप said...

sahi kaha par kya karein hame aisi hi shiksha di jaati hai...aur aise hi sanskaar....wahi karenge jo dekhte aa rahe hai...

Shikha Sharma said...

Very Nice Thinking,Success is the most desired part of our life.

सोनाली said...

सफ़लता को प्राप्त करना हर इंसान का ख्वाब होता है,अतः वो कुछ भी करने को तैयार हो जाता है.

Sagar Verma said...

Sahi baat hai,par success bhi to jaruri hai life me,iske bina kuchh ho bhi nahi sakta.

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